उम्र कुछ इस तरह बिता दी है राख के ढेर को हवा दी है आपका फ़ैसला निराला है ज़िन्दगी बख्श कर सज़ा दी है खूब चारागरी निभाई है आखरी सांस पे दवा दी है डूबने का जहाँ शुबा देखा राह वो ही हमें दिखा दी है इससे ज़्यादा क्या वफ़ा होगी आबरू दाव पर लगा दी है पूछ कर यार ने धरम मेरा ज़ात अपनी मुझे बता दी है – इक़बाल हुसैन “इक़बाल” इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
उम्र कुछ इस तरह
उम्र कुछ इस तरह बिता दी है
राख के ढेर को हवा दी है
आपका फ़ैसला निराला है
ज़िन्दगी बख्श कर सज़ा दी है
खूब चारागरी निभाई है
आखरी सांस पे दवा दी है
डूबने का जहाँ शुबा देखा
राह वो ही हमें दिखा दी है
इससे ज़्यादा क्या वफ़ा होगी
आबरू दाव पर लगा दी है
पूछ कर यार ने धरम मेरा
ज़ात अपनी मुझे बता दी है
– इक़बाल हुसैन “इक़बाल”
इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल
इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की रचनाएँ
[simple-author-box]
अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें