खेल नफरत का हम चलने नहीं देंगे, बेवक्त तो यह मौसम बदलने नहीं देंगे। बड़ी मशक्कत के बाद बस्तियों में [...]
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खेल नफरत का हम चलने नहीं देंगे
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मुझ पर भी अब मदहोशी छाने लगी
मुझ पर भी अब मदहोशी छाने लगी, मेरे घर ये हवा मैखानों से आने लगी। रात ढले अब तनहाईयाँ पसरने [...] More -
लोग मुझको दुनिया के बचकाने लगे
लोग मुझको दुनिया के बचकाने लगे, अंधेरों के लिए सूरज को धमकाने लगे। बंजर जमीं पर फसल उगाने की बात [...] More -
घर को बड़ी ही राहत मिली
घर को बड़ी ही राहत मिली, जब इन दीवारों को छत मिली। इक बहुत बड़ी मिल्कियत मिली, बच्चे को माँ [...] More -
कद परछाइयों के ही बड़े हुए हैं
कद परछाइयों के ही बड़े हुए हैं, नादां समझ रहे है कि हम बड़े हुए हैं। वो आसमान और इस [...] More -
इंसान और इंसान के बीच लकीरे खींचा करते हैं
इंसान और इंसान के बीच लकीरे खींचा करते हैं, घमंड के बीज को झूठी शान से सींचा करते हैं। मुंह [...] More -
हर एक मसले का जरूर कोई हल होगा
हर एक मसले का जरूर कोई हल होगा, झोपड़ी के ख्वाबो मे भी इक महल होगा। समंदर से शांत नजर [...] More