आँखों में अश्रु प्रवाह लिए । दिल में वियोग की आह लिए ।। वह सरहद को प्रस्थान किया, दायित्व बोध का भान किया, कुछ बूँद अश्क की ले आया, तनहाई फिर से दे आया, सोते बच्चे को छोड़ चला, खुद अपने मुँह को मोड़ चला, जल्दी आने की चाह लिए । आँखों में अश्रु प्रवाह लिए ।। झुक माता से आशीष लिया, बापू से पगड़ी – सीख लिया, प्रिय पत्नी से व्यापार बढ़ा, जीवन जीने की पाठ पढ़ा, झट निकल गया वो चूम गाल, आएगा कहकर इसी साल, मधु मिलन याद का माह लिए । आँखों में अश्रु प्रवाह लिए ।। गलियों से गर्वित याद मिली, सखि साथी की फरियाद मिली, आने का समय बताता जा, सीमा की कथा सुनाता जा, सुन, भूल नहीं जाना भाई, बस आय गई, बस हरजाई, गृह राह छुटी नव राह लिए । आँखों में अश्रु प्रवाह लिए ।। –अवधेश कुमार ‘अवध’ अवधेश कुमार 'अवध' जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
आँखों में अश्रु प्रवाह लिए
आँखों में अश्रु प्रवाह लिए ।
दिल में वियोग की आह लिए ।।
वह सरहद को प्रस्थान किया,
दायित्व बोध का भान किया,
कुछ बूँद अश्क की ले आया,
तनहाई फिर से दे आया,
सोते बच्चे को छोड़ चला,
खुद अपने मुँह को मोड़ चला,
जल्दी आने की चाह लिए ।
आँखों में अश्रु प्रवाह लिए ।।
झुक माता से आशीष लिया,
बापू से पगड़ी – सीख लिया,
प्रिय पत्नी से व्यापार बढ़ा,
जीवन जीने की पाठ पढ़ा,
झट निकल गया वो चूम गाल,
आएगा कहकर इसी साल,
मधु मिलन याद का माह लिए ।
आँखों में अश्रु प्रवाह लिए ।।
गलियों से गर्वित याद मिली,
सखि साथी की फरियाद मिली,
आने का समय बताता जा,
सीमा की कथा सुनाता जा,
सुन, भूल नहीं जाना भाई,
बस आय गई, बस हरजाई,
गृह राह छुटी नव राह लिए ।
आँखों में अश्रु प्रवाह लिए ।।
–अवधेश कुमार ‘अवध’
अवधेश कुमार 'अवध' जी की रचनाएँ
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