नारी मोहक रूप समुच्चय मात्र न होती ।
नाजुक सी वह फूल, दया की पात्र न होती ।।
जब भी उसके आस – पास संकट मँडराये ।
हाथों में तलवार, देख दुश्मन थर्राये ।।
वह पुरुषों का दर्प, चूर्ण भी कर सकती है ।
अपने सपने आप, पूर्ण भी कर सकती है ।।
थोड़ा सा विश्वास, हृदय में लाना होगा ।
अवध न जाए हार, अवधपति! आना होगा ।।
नारी मोहक रूप समुच्चय मात्र न होती
नारी मोहक रूप समुच्चय मात्र न होती ।
नाजुक सी वह फूल, दया की पात्र न होती ।।
जब भी उसके आस – पास संकट मँडराये ।
हाथों में तलवार, देख दुश्मन थर्राये ।।
वह पुरुषों का दर्प, चूर्ण भी कर सकती है ।
अपने सपने आप, पूर्ण भी कर सकती है ।।
थोड़ा सा विश्वास, हृदय में लाना होगा ।
अवध न जाए हार, अवधपति! आना होगा ।।
–अवधेश कुमार ‘अवध’
अवधेश कुमार 'अवध' जी की कविता
अवधेश कुमार 'अवध' जी की रचनाएँ
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