ना खिज़ा से डरो, ना हवा से डरो तितलियों की मगर बददुआ से डरो रीत बदली सभी आज के दौर की आप करके वफ़ा बेवफा से डरो है गुनाह की सज़ा काटना लाजमी ग़र सज़ा से डरो, तो खता से डरो मश्वरा मान लो दानिशों ये मेरा हर मकामात पर बेहया से डरो आदमी आपको आदमी ना लगे आप कुछ तो मगर उस खुदा से डरो ठौर होगी न होगा ठिकाना कहीं बाप मां की सदा बददुआ से डरो – इक़बाल हुसैन “इक़बाल” इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
ना खिज़ा से डरो
ना खिज़ा से डरो, ना हवा से डरो
तितलियों की मगर बददुआ से डरो
रीत बदली सभी आज के दौर की
आप करके वफ़ा बेवफा से डरो
है गुनाह की सज़ा काटना लाजमी
ग़र सज़ा से डरो, तो खता से डरो
मश्वरा मान लो दानिशों ये मेरा
हर मकामात पर बेहया से डरो
आदमी आपको आदमी ना लगे
आप कुछ तो मगर उस खुदा से डरो
ठौर होगी न होगा ठिकाना कहीं
बाप मां की सदा बददुआ से डरो
– इक़बाल हुसैन “इक़बाल”
इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल
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