मयकदे फीके पड़े सब, देखकर आँखे तेरी मयकशों के दर्मियाँ होने लगीं बातें तेरी होंठ खिलते दो कमल से, नैन ठहरी झील से इक सुराही सी हिले है, जब चलें सांसे तेरी क्या खुदा ने हुस्न बख्शा क्या अता की खुशरवी चांद तारे खुद बनाऐं, खुशनुमा रातें तेरी साथ तेरा मिल गया जो, यूं लगा मंजिल मिली चेन का हैं कारवाँ, फूल सी राहें तेरी वो नशा तारी हुआ है, बिन पिये “इक़बाल” पर उम्र भर की बेखुदी अब, बन गई यादें तेरी – इक़बाल हुसैन “इक़बाल” इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
मयकदे फीके पड़े सब
मयकदे फीके पड़े सब, देखकर आँखे तेरी
मयकशों के दर्मियाँ होने लगीं बातें तेरी
होंठ खिलते दो कमल से, नैन ठहरी झील से
इक सुराही सी हिले है, जब चलें सांसे तेरी
क्या खुदा ने हुस्न बख्शा क्या अता की खुशरवी
चांद तारे खुद बनाऐं, खुशनुमा रातें तेरी
साथ तेरा मिल गया जो, यूं लगा मंजिल मिली
चेन का हैं कारवाँ, फूल सी राहें तेरी
वो नशा तारी हुआ है, बिन पिये “इक़बाल” पर
उम्र भर की बेखुदी अब, बन गई यादें तेरी
– इक़बाल हुसैन “इक़बाल”
इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल
इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की रचनाएँ
[simple-author-box]
अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें