मौन रहकर काम करता शोर मैं करता नहीं टूट सकता हूँ यहाँ मैं झुक कभी सकता नहीं हौंसले मेरे बुलन्दी पर खड़े हैं देख ले जब निकल पड़ता हूँ घर से फिर कहीं रुकता नहीं देखना मैं एक दिन सबको हिला दूंगा यहाँ भावना में बात बहकर मैं कभी कहता नहीं ये कटीले रास्ते मैंनें यहाँ ख़ुद तय किए मुश्किलें ख़ुद पालता हूँ इनसे मैं डरता नहीं इस तरह भड़का ना मुझको आग दिल मत लगा आग से मैं खेलता आग में जलता नहीं चाँद पर चढ़ने का मैंने फैसला जब कर लिया फैसला जब कर लिया तो फैसला टलता नहीं अब ग़ज़ल की बात कर अब मैं ग़ज़ल कहने लगा बिन ग़ज़ल “जगदीश” मेरा काम भी चलता नहीं – जगदीश तिवारी जगदीश तिवारी जी के ग़ज़ल जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
मौन रहकर काम करता
मौन रहकर काम करता शोर मैं करता नहीं
टूट सकता हूँ यहाँ मैं झुक कभी सकता नहीं
हौंसले मेरे बुलन्दी पर खड़े हैं देख ले
जब निकल पड़ता हूँ घर से फिर कहीं रुकता नहीं
देखना मैं एक दिन सबको हिला दूंगा यहाँ
भावना में बात बहकर मैं कभी कहता नहीं
ये कटीले रास्ते मैंनें यहाँ ख़ुद तय किए
मुश्किलें ख़ुद पालता हूँ इनसे मैं डरता नहीं
इस तरह भड़का ना मुझको आग दिल मत लगा
आग से मैं खेलता आग में जलता नहीं
चाँद पर चढ़ने का मैंने फैसला जब कर लिया
फैसला जब कर लिया तो फैसला टलता नहीं
अब ग़ज़ल की बात कर अब मैं ग़ज़ल कहने लगा
बिन ग़ज़ल “जगदीश” मेरा काम भी चलता नहीं
– जगदीश तिवारी
जगदीश तिवारी जी के ग़ज़ल
जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ
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