लिख गाथा चितौड़ की कर इसका गुणगान इसके वीरों का ह्रदय से सम्मान पत्रा के उस त्याग का कैसे करूं बखान शब्द नहीं हैं पास में ओ ! मेरे भगवन जिसके वीरों ने सदा दुश्मन दिये निचोड़ आन-मान सम्मान का गढ़ है ये चित्तौड़ जौहर ज्वाला बन गई खींच गई वो रेख बाल न बाँका कर सका खिलजी जिसका देख मीरा से तू ही बता कौन यहाँ अनजान जीवन भर करती रही जो मोहन का गान सर न झुका जिसका कभी जो ना बना गुलाम ऐसे वीर प्रताप को शत्-शत् करें प्रणाम साथ रहा चेतक सदा बन राणा की ढाल स्वामी भक्ति की बना जग में एक मिसाल – जगदीश तिवारी जगदीश तिवारी जी की कविता जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
लिख गाथा चितौड़ की
लिख गाथा चितौड़ की कर इसका गुणगान
इसके वीरों का ह्रदय से सम्मान
पत्रा के उस त्याग का कैसे करूं बखान
शब्द नहीं हैं पास में ओ ! मेरे भगवन
जिसके वीरों ने सदा दुश्मन दिये निचोड़
आन-मान सम्मान का गढ़ है ये चित्तौड़
जौहर ज्वाला बन गई खींच गई वो रेख
बाल न बाँका कर सका खिलजी जिसका देख
मीरा से तू ही बता कौन यहाँ अनजान
जीवन भर करती रही जो मोहन का गान
सर न झुका जिसका कभी जो ना बना गुलाम
ऐसे वीर प्रताप को शत्-शत् करें प्रणाम
साथ रहा चेतक सदा बन राणा की ढाल
स्वामी भक्ति की बना जग में एक मिसाल
– जगदीश तिवारी
जगदीश तिवारी जी की कविता
जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ
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