जीवन की सरिता
सरिता के तटबन्ध
तटबन्धों पर सटे सुहाने घाट
ये घाट साक्षी है –
जीवन प्रवाह के
साक्षी है धार के,
गुजरते पानी के,
चढ़ते उफान के,
झरते प्रपात के,
और जल की शीतलता के,
निर्मलता के, सरलता के
झरोखे इतिहास के
*ठहरो*
सोचो!
क्या है यह सब
तट हैं जन्म अौर मृत्यु
जीवन है सरिता
बहने की ऊर्जा का
कौन है परम स्रोत,
गन्तव्य का प्रबोध
जल का पुनः पुनः लौटना
फिर फिर बहना
प्रतिक्षण बदलती है सरिता
हम कहते हैं
‘सरिता बहती है’
नहीं, वर्हाँ बहता पानी है
ठीक इसी तरह,
जीवन नहीं
समय के पल बहते हैं
उद्गम से पर्यवसान तक
जन्म से निर्वाण तक
नित्य, निरन्तर, अविरल
कल – कल, छल – छल
सुनो!
सरिता में बहता हूँ
जल का मैं कण हूँ,
आत्मा हूँ इसकी
यहाँ भी मैं – वहाँ भी मैं
मैंने तट देखे, तट बन्ध देखे
श्वासों के अनुबन्ध देखे
उतार देखे, चढ़ाव देखे
मेरी खोज सागर है
हाँ, मै ही बहता हूँ उस ओर
राह में कहीं प्रपात हूँ
कहीं धार हूँ
पर मैं जल का कण हूँ
हाँ मैं ही हूँ,
न जीता हूँ, न मरता हूँ
यहाँ भी हूँ – वहाँ भी हूँ
जीवन की सरिता
जीवन की सरिता
सरिता के तटबन्ध
तटबन्धों पर सटे सुहाने घाट
ये घाट साक्षी है –
जीवन प्रवाह के
साक्षी है धार के,
गुजरते पानी के,
चढ़ते उफान के,
झरते प्रपात के,
और जल की शीतलता के,
निर्मलता के, सरलता के
झरोखे इतिहास के
*ठहरो*
सोचो!
क्या है यह सब
तट हैं जन्म अौर मृत्यु
जीवन है सरिता
बहने की ऊर्जा का
कौन है परम स्रोत,
गन्तव्य का प्रबोध
जल का पुनः पुनः लौटना
फिर फिर बहना
प्रतिक्षण बदलती है सरिता
हम कहते हैं
‘सरिता बहती है’
नहीं, वर्हाँ बहता पानी है
ठीक इसी तरह,
जीवन नहीं
समय के पल बहते हैं
उद्गम से पर्यवसान तक
जन्म से निर्वाण तक
नित्य, निरन्तर, अविरल
कल – कल, छल – छल
सुनो!
सरिता में बहता हूँ
जल का मैं कण हूँ,
आत्मा हूँ इसकी
यहाँ भी मैं – वहाँ भी मैं
मैंने तट देखे, तट बन्ध देखे
श्वासों के अनुबन्ध देखे
उतार देखे, चढ़ाव देखे
मेरी खोज सागर है
हाँ, मै ही बहता हूँ उस ओर
राह में कहीं प्रपात हूँ
कहीं धार हूँ
पर मैं जल का कण हूँ
हाँ मैं ही हूँ,
न जीता हूँ, न मरता हूँ
यहाँ भी हूँ – वहाँ भी हूँ
– रामनारायण सोनी
रामनारायण सोनी जी की रचनाएँ
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