जब तक उससे लाभ था तब तक था वो मीत लाभ न उससे जब मिला फिर काहे की प्रीत जनता से जोड़ा नहीं उसने कोई तार जीतेगा कैसे बता इलेक्शन में यार दूर दूर से देखता जाता कभी न पास घर बैठे ही चाहता पूरी हो सब आस घर की रोती तोड़ता किया न कोई काम जीवन भर माँ बाप को करा सदा बदनाम क़दम क़दम सम्मान की यहाँ लगी है हौड़ भाई मौका चूक मत तू भी इसमें दौड़ तू मुझको सम्मान दे मैं तुझको सम्मान पूरे होंगे इस तरह दोनों के अरमान दौड़ सके तो दौड़ तू मत हो यूँ गुमनाम दौड़ेगा ग़र तेज तो तेरा होगा नाम – जगदीश तिवारी जगदीश तिवारी जी की दोहा जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
जब तक उससे लाभ था
जब तक उससे लाभ था तब तक था वो मीत
लाभ न उससे जब मिला फिर काहे की प्रीत
जनता से जोड़ा नहीं उसने कोई तार
जीतेगा कैसे बता इलेक्शन में यार
दूर दूर से देखता जाता कभी न पास
घर बैठे ही चाहता पूरी हो सब आस
घर की रोती तोड़ता किया न कोई काम
जीवन भर माँ बाप को करा सदा बदनाम
क़दम क़दम सम्मान की यहाँ लगी है हौड़
भाई मौका चूक मत तू भी इसमें दौड़
तू मुझको सम्मान दे मैं तुझको सम्मान
पूरे होंगे इस तरह दोनों के अरमान
दौड़ सके तो दौड़ तू मत हो यूँ गुमनाम
दौड़ेगा ग़र तेज तो तेरा होगा नाम
– जगदीश तिवारी
जगदीश तिवारी जी की दोहा
जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ
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