इधर देखना ना उधर देखना है । अगर देखना है तो घर देखना है । सदा मम्मी पापा को रखना नज़र में । प्यारी सी पत्नी भी रहती है घर मे बच्चों का हर इक पहर देखना है । कभी भूल कर भी उलंघन ना करना । अपनी ही जान का दुश्मन ना बनना । तुम्हें दूर तक का सफ़र देखना है । निकलता है आगे निकलने दो उसको, उसूलों से अपने भटकने दो उसको । बुढापा ख़ुशी से अगर देखना है । – इक़बाल हुसैन ‘इक़बाल’ इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की कविता इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
इधर देखना ना उधर देखना है
इधर देखना ना उधर देखना है ।
अगर देखना है तो घर देखना है ।
सदा मम्मी पापा को रखना नज़र में ।
प्यारी सी पत्नी भी रहती है घर मे
बच्चों का हर इक पहर देखना है ।
कभी भूल कर भी उलंघन ना करना ।
अपनी ही जान का दुश्मन ना बनना ।
तुम्हें दूर तक का सफ़र देखना है ।
निकलता है आगे निकलने दो उसको,
उसूलों से अपने भटकने दो उसको ।
बुढापा ख़ुशी से अगर देखना है ।
– इक़बाल हुसैन ‘इक़बाल’
इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की कविता
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