गोरा गोरा है बदन काले काले बाल ठुमक ठुमक गोरी चले मन में उड़े गुलाल सुबहा तक जागे रहे दोनों सारी रात नयनों से करते रहे अपने दिल की बात मौसम सब्र न कर सका डोल गया ईमान चन्दा की जब चाँदनी भरने लगी उड़ान ये शहर है गाँव नहीं गाँठ बाँध ले यार रिश्ते नाते भूल जा, भूल सभी व्यवहार शहर की ओर जब बढ़ा पूछ रहा था गाँव क्या अच्छी लगती नहीं तुझे नीम की छाँव पद में जब तक वो रहा गले लगाते यार सेवानिवृत्त क्या हुआ बदल गया व्यवहार सम्पादक क्या बन गया भरने लगा उड़ान हर व्यक्ति करने लगा अब उसका गुणगान – जगदीश तिवारी जगदीश तिवारी जी की गीत जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
गोरा गोरा है बदन
गोरा गोरा है बदन काले काले बाल
ठुमक ठुमक गोरी चले मन में उड़े गुलाल
सुबहा तक जागे रहे दोनों सारी रात
नयनों से करते रहे अपने दिल की बात
मौसम सब्र न कर सका डोल गया ईमान
चन्दा की जब चाँदनी भरने लगी उड़ान
ये शहर है गाँव नहीं गाँठ बाँध ले यार
रिश्ते नाते भूल जा, भूल सभी व्यवहार
शहर की ओर जब बढ़ा पूछ रहा था गाँव
क्या अच्छी लगती नहीं तुझे नीम की छाँव
पद में जब तक वो रहा गले लगाते यार
सेवानिवृत्त क्या हुआ बदल गया व्यवहार
सम्पादक क्या बन गया भरने लगा उड़ान
हर व्यक्ति करने लगा अब उसका गुणगान
– जगदीश तिवारी
जगदीश तिवारी जी की गीत
जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ
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