फागुन में उड़ने लगा सजना लाल गुलाल दूर खड़ा क्यों पास आ मुखड़ा कर दे लाल फागुन के इस रंग में गोरी भीगी यार गोरी का यौवन हँसा नाच रहा संसार कुछ ऐसी बातें करो जिनमें कुछ हो सार जो अपनों के कर सके सपने कुछ साकार खोले रखना तुम सनम ! अपने घर का दवार जाने रब आ जाय कब कर दे बेड़ा पार मैं तुझसे बिछडू नहीं सदा रहे तू पास तू मेरा विश्वास है मैं तेरा विश्वास मीठी मीठी कर रहा कौन यहाँ आवाज़ शायद दर पर आ गया पंछी कोई आज दीप जले विश्वास का कर कुछ ऐसा काम सुबहा मुस्काये सनम ! मुस्काये हर शाम – जगदीश तिवारी जगदीश तिवारी जी की दोहा जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
फागुन में उड़ने लगा
फागुन में उड़ने लगा सजना लाल गुलाल
दूर खड़ा क्यों पास आ मुखड़ा कर दे लाल
फागुन के इस रंग में गोरी भीगी यार
गोरी का यौवन हँसा नाच रहा संसार
कुछ ऐसी बातें करो जिनमें कुछ हो सार
जो अपनों के कर सके सपने कुछ साकार
खोले रखना तुम सनम ! अपने घर का दवार
जाने रब आ जाय कब कर दे बेड़ा पार
मैं तुझसे बिछडू नहीं सदा रहे तू पास
तू मेरा विश्वास है मैं तेरा विश्वास
मीठी मीठी कर रहा कौन यहाँ आवाज़
शायद दर पर आ गया पंछी कोई आज
दीप जले विश्वास का कर कुछ ऐसा काम
सुबहा मुस्काये सनम ! मुस्काये हर शाम
– जगदीश तिवारी
जगदीश तिवारी जी की दोहा
जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ
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