एक सहृदयी व्यक्ति ने
मुझ पतित को
उत्साह से भरकर
झट गले लगाया
मेरे मन का
छलकता कीचड़
उसके तन को
कीचड़मय कर दिया
मुझ पर
एक अलौकिक
अहसास का
अनुभव हुआ
मैं चहकते हुए
घर लौटा
लगाया डुबकी
फिर मद – मोह के
उसी गटर में
सारे अहसास
काफूर हो गए
मैं मशहूर हो गया
वो बदनाम हो गए।
एक सहृदयी व्यक्ति ने
एक सहृदयी व्यक्ति ने
मुझ पतित को
उत्साह से भरकर
झट गले लगाया
मेरे मन का
छलकता कीचड़
उसके तन को
कीचड़मय कर दिया
मुझ पर
एक अलौकिक
अहसास का
अनुभव हुआ
मैं चहकते हुए
घर लौटा
लगाया डुबकी
फिर मद – मोह के
उसी गटर में
सारे अहसास
काफूर हो गए
मैं मशहूर हो गया
वो बदनाम हो गए।
–अवधेश कुमार ‘अवध’
अवधेश कुमार 'अवध' जी की कविता
अवधेश कुमार 'अवध' जी की रचनाएँ
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