छोटी छोटी बात में बड़ी छुपी हैं बात इनको आत्मसात कर बदलेंगे हालात उसने मानी ही नहीं अपनी गलती आप देख ! तभी तो कर रहा बैठ यहां संताप संभव सब कुछ है यहाँ करता रह प्रयास मंजिल चूमेगी तुझे रख खुद पर विश्वास सच को हिय-आंगन सजा सच से ही कर प्यार खुद आयेगा देखना, सुरज तेरे द्वार एक नज़र में कह गये जब वो सारी बात बिन बादल होने लगी हिय-आँगन बरसात वर्षों से बहार जिसे करता रहा तलाश मेरे अन्दर ही मिला मुझको वो प्रकाश कहने को तो कह गया कहनी थी जो बात रात नींद आयी नहीं जागा सारी रात – जगदीश तिवारी जगदीश तिवारी जी की ग़ज़ल जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
छोटी छोटी बात में
छोटी छोटी बात में बड़ी छुपी हैं बात
इनको आत्मसात कर बदलेंगे हालात
उसने मानी ही नहीं अपनी गलती आप
देख ! तभी तो कर रहा बैठ यहां संताप
संभव सब कुछ है यहाँ करता रह प्रयास
मंजिल चूमेगी तुझे रख खुद पर विश्वास
सच को हिय-आंगन सजा सच से ही कर प्यार
खुद आयेगा देखना, सुरज तेरे द्वार
एक नज़र में कह गये जब वो सारी बात
बिन बादल होने लगी हिय-आँगन बरसात
वर्षों से बहार जिसे करता रहा तलाश
मेरे अन्दर ही मिला मुझको वो प्रकाश
कहने को तो कह गया कहनी थी जो बात
रात नींद आयी नहीं जागा सारी रात
– जगदीश तिवारी
जगदीश तिवारी जी की ग़ज़ल
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