• उम्मीद रखने पर कविता, एकता खान

    उनसे कुछ कहने की

    उनसे कुछ कहने की आरज़ू में बेज़ुबा अश्क़ यूँ ही निकल गए दिल की ख़ामोश गलियों में एहसासों के बादल [...] More
  • हर घड़ी दवा

    हर घड़ी दवा जिन्हें समझते हैं हम ज़ख़्म रोज़ हमें वो देते हैं क्यूँ हर घड़ी याद जिन्हें करते हैं [...] More
  • सवालो के जवाब पाने पर कविता, एकता खान

    उम्मीदों के चिराग़ को

    उम्मीदों के चिराग़ को जलाएँ तो कैसे राहों के अंधकार को मिटाएँ तो कैसे डूबती कश्ती को किनारे लाएँ तो [...] More
  • मोहब्बत और इश्क़ पर कविता, एकता खान

    एक वो हैं जो हर रोज़

    एक वो हैं जो हर रोज़ हज़ार बहाने ढूँढ लेते हैं हमसे दूर जाने के और एक हम हैं जो [...] More
  • ग़ज़ल बन जाने पर कविता, विनय साग़र जायसवाल

    यह हवा और चला दो,

    यह हवा और चला दो, तो ग़जल हो जाये इन चराग़ों को बुझा दो, तो ग़जल हो जाये इस कदर [...] More
  • जो दिखाई देता हूं

    जो दिखाई देता हूं वो नहीं हूं मैं और ना ही वो हूं जो तुम देखते हो तुम्हारे देखने मेरे [...] More
  • जब साथ-साथ है

    जब साथ-साथ है हम-तुम, तो क्यो आए कभी कोई गम। एक-दूजे के साथ रहे उम्र भर, यही एक अहसास रहे [...] More
  • बेइंतहा प्यार पर कविता, इरशाद अज़ीज़

    आख़िरी बार कब

    आख़िरी बार कब देखा था तुमने उसे या फिर उसने तुम्हें ठीक से सोच कर बताओ अगर नहीं मालूम तो [...] More
  • गुज़र गई ग़फ़लत में

    गुज़र गई ग़फ़लत में सांसों के आने-जाने के बीच झूलता रहा बिखरता रहा तेरे ख़याल की आंधी में और तू [...] More
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