आदमी कहाँ लड़ता है, आजकल से, लड़ती हैं उसकी मजबूरियाँ बैचेन होकर छैनी-हथौड़ी लेकर हथेली की रेखाओं की बुनावट सें, [...]
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आदमी कहाँ लड़ता है, आजकल से
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स्टेशन से मीलो की दूरी पर
स्टेशन से मीलो की दूरी पर खड़ा कर दिया गया है मुझे निर्जन में, अकेले, चुपचाप पाषाण की भांति मेरी [...] More -
सुख-समृद्धी की कामना लिए
सुख-समृद्धी की कामना लिए जलाओ तुम माटी के नन्हे दीए। देवी को सज-धज कर, पूजा करे वो देश नारी उत्पीड़ित [...] More -
उनके घर भी दीया जले
जगमग होगी रातें सारी, दीपमालिका सज जाएगी। ऊँची-ऊँची अटालिकाएँ, रोशनी में खूब सज जाएगी। तब धरती के किसी कोने में, [...] More -
फिर वही माझी खड़ा है फिर वही पतवार मेरी
कश्तियों ने आज तट से फिर मुझे गुंजन सुनाई फिर कोई ललकार तट की धारियों से छन के आयी सिंधु [...] More -
रूह हो तुम!
बड़ी हैरत में हूँ खाली कैनवास पर तो मन रेखाएँ खींच लेता है कूँचियाँ क्यों सहम जाती है उतर नही [...] More -
लाल बहादुर शास्त्री जी पर कविता
छोटा कद पर सोच बड़ी थी तेज सूर्य का चमके भाल। भारत माँ के गौरव थे वो कहलाये गुदड़ी के [...] More -
नयनों में आपके ही डूब हम जीने लगे
नयनों में आपके ही डूब हम जीने लगे, मदहोशी दुनिया की पीछे छोड़ आये हैं। जीत हार का कोई सताए [...] More -
मेरे देश की आजादी
मेरे देश की आजादी, अद्धभुखी, प्यासी। निढाल, थकी सी। पेट के खातिर बेच रही, हाथो में ले तिरंगा। नही जानती [...] More