• प्यार में सपना बनाने पर कविता, इरशाद अज़ीज़

    एक सपना बुना था उसने

    एक सपना बुना था उसने मुझे बताये बिना मेरे होने में अपने होने का जबकि मैं अपने होने को तलाशता [...] More
  • सर्दी के मर पर कविता, हेमलता पालीवाल "हेमा"

    तन पर लपेटे

    तन पर लपेटे फटे चिथडे़, नँगे-पैर वह चला जाता है। जाडे़ की बेदर्द हवाओ से वह, अपना बदन छिपाता जाता [...] More
  • संघर्ष करने पर कविता, हेमलता पालीवाल "हेमा"

    चिंता मे समय को

    चिंता मे समय को न करो बर्बाद चिंतन मे करो, हो जाओगे आबाद एक माटी का दीया अँधेरे से लडे, [...] More
  • माता के श्राद्ध पर कविता, हेमलता पालीवाल "हेमा"

    अपने नरम हाथो से

    अपने नरम हाथो से नरम-नरम रोटी सेंकती, एक -एक निवाला वो हमे खिलाकर फिर खाती, आज उस जननी का श्राद्ध [...] More
  • इंसानियत ख़तम होने पर कविता, गोविन्द व्यथित

    जमीन पर गड़े

    जमीन पर गड़े पत्थर ने अचानक दिया रोक पाँवों को एक करारी ठोकर लगी दर्द से कराह उठा तन्द्रा भागी, [...] More
  • अत्याचार सहने पर कविता, गोविन्द व्यथित

    एक इन्सान का जिस्म

    एक इन्सान का जिस्म सड़क पर खुले आम बोटियों में बाँटकर कर दिया गया लावारिस जानवरों के नाम लोंगो ने [...] More
  • सत्य और हवा पर कविता, गोविन्द व्यथित

    धीमे – धीमे बहती हवा

    धीमे - धीमे बहती हवा दौड़ने लगी अचानक कमर के बल झुके कूबड़े पेड़ ने तालियाँ बजानी शुरू कर दीं [...] More
  • प्यार में मिली जुदाई पर कविता, एकता खान

    साथ निकले थे जिनके

    साथ निकले थे जिनके हमसफ़र समझ के, मंज़िलें उनकी हमसे जुदा थीं। सफ़र जो ज़िंदगी से शुरू हुआ था अपना, [...] More
  • धनवानों का ही भला,

    धनवानों का ही भला, करने वाले लोग । छाती में नासूर हैं, दूर हटाओ रोग । जल्दी से इस रोग [...] More
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