• धनी पर ग़ज़ल, इक़बाल हुसैन “इक़बाल”

    बात क्या-क्या सुनी

    बात क्या-क्या सुनी आपको क्या पता जान पे आ बनी आपको क्या पता नींद को ले गयी आंख से छीन [...] More
  • शायरी में पुख्तगी गर चाहिये

    शायरी में पुख्तगी गर चाहिये सिर्फ अष्कों का समंदर चाहिये इस जहां को सच सुनाना हो अगर हाथ में हर [...] More
  • समझने पर ग़ज़ल, इक़बाल हुसैन “इक़बाल”

    आंखों में बसना ठीक नहीं

    आंखों में बसना ठीक नहीं ख्वाबों में मिलना ठीक नहीं आओं तो तुम दिन में आओं रातों में मिलना ठीक [...] More
  • बदलते नज़रो पर ग़ज़ल, इक़बाल हुसैन “इक़बाल”

    बदला हुआ समां है

    बदला हुआ समां है बदले हुए नज़ारे बेगाने हो गये वो कल तक जो थे हमारे मायूस ज़िन्दगी के अरमां [...] More
  • अहदे वफ़ा समझकर

    अहदे वफ़ा समझकर आना हमारे पास ये फलसफा समझकर आना हमारे पास ये रौनक ए जमाना ये उम्र की खुमारी [...] More
  • जूते रिश्तो पर ग़ज़ल, इक़बाल हुसैन “इक़बाल”

    ग़ज़ल सुनाऊं गाऊं गीत

    ग़ज़ल सुनाऊं गाऊं गीत होती ना ये दुनिया मीत झूठे रिश्ते झूठे लोग झूठी इनकी सारी प्रीत अब समझे हम [...] More
  • दिल बहलने पर ग़ज़ल, डॉ. नसीमा 'निशा'

    कोई पराया भी अपना

    कोई पराया भी अपना निकल जाये तो और अपना ही कोई बदल जाये तो ये ज़बा ही तो है गर [...] More
  • प्यार की ममता पर ग़ज़ल, डॉ. नसीमा 'निशा'

    देख तू किस तरफ़

    देख तू किस तरफ़ बेखबर आ गया। चलते-चलते तेरा फ़िर से घर आ गया।। उसपे इल्ज़ाम कितने लगायेंगे लोग, भूले [...] More
  • किसान पर ग़ज़ल, डॉ. नसीमा 'निशा'

    मोहताज़ दाने दाने को

    मोहताज़ दाने दाने को होता रहा किसान। बंजर ज़मीं में ख्वाब को बोता रहा किसान।। सरकार हो किसी भी धोखा [...] More
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