बात क्या-क्या सुनी आपको क्या पता जान पे आ बनी आपको क्या पता नींद को ले गयी आंख से छीन [...]
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बात क्या-क्या सुनी
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शायरी में पुख्तगी गर चाहिये
शायरी में पुख्तगी गर चाहिये सिर्फ अष्कों का समंदर चाहिये इस जहां को सच सुनाना हो अगर हाथ में हर [...] More -
आंखों में बसना ठीक नहीं
आंखों में बसना ठीक नहीं ख्वाबों में मिलना ठीक नहीं आओं तो तुम दिन में आओं रातों में मिलना ठीक [...] More -
बदला हुआ समां है
बदला हुआ समां है बदले हुए नज़ारे बेगाने हो गये वो कल तक जो थे हमारे मायूस ज़िन्दगी के अरमां [...] More -
अहदे वफ़ा समझकर
अहदे वफ़ा समझकर आना हमारे पास ये फलसफा समझकर आना हमारे पास ये रौनक ए जमाना ये उम्र की खुमारी [...] More -
ग़ज़ल सुनाऊं गाऊं गीत
ग़ज़ल सुनाऊं गाऊं गीत होती ना ये दुनिया मीत झूठे रिश्ते झूठे लोग झूठी इनकी सारी प्रीत अब समझे हम [...] More -
कोई पराया भी अपना
कोई पराया भी अपना निकल जाये तो और अपना ही कोई बदल जाये तो ये ज़बा ही तो है गर [...] More -
देख तू किस तरफ़
देख तू किस तरफ़ बेखबर आ गया। चलते-चलते तेरा फ़िर से घर आ गया।। उसपे इल्ज़ाम कितने लगायेंगे लोग, भूले [...] More -
मोहताज़ दाने दाने को
मोहताज़ दाने दाने को होता रहा किसान। बंजर ज़मीं में ख्वाब को बोता रहा किसान।। सरकार हो किसी भी धोखा [...] More