• सपने पर ग़ज़ल, इक़बाल हुसैन “इक़बाल”

    हमने वो सपना देखा

    हमने वो सपना देखा जिसमें घर अपना देखा देखा ना मेरा लिखना लोगों ने छपना देखा देखे ना उसके करतब [...] More
  • मतलब पर ग़ज़ल, इक़बाल हुसैन “इक़बाल”

    लोग गोटी जमा लेते हैं

    लोग गोटी जमा लेते हैं नाम, शोहरत कमा लेते हैं कर्म फिर भी झलक जाते हैं लाख धूनी रमा लेते [...] More
  • समझ नहीं सकता

    समझ नहीं सकता कभी दूजों के जज़्बात अहंकार में डूबकर जो करता है बात चलते चलते थक गया यह बिल्कुल [...] More
  • समय पर ग़ज़ल, जगदीश तिवारी

    सूरज तक पाबन्द है देख

    सूरज तक पाबन्द है देख ! समय के हाथ फिर तू क्यों चलता नहीं मीत समय के साथ मीत ! [...] More
  • सच का आँगन जल रहा

    सच का आँगन जल रहा सच का जला मकान क़दम क़दम पर हँस रहा झूठा बेईमान गन्दों से तू दूर [...] More
  • दूजे की रचना पर ग़ज़ल, जगदीश तिवारी

    हिय आँगन में ही उगा

    हिय-आँगन में ही उगा मीत प्रीत की बेल हर पल इसको सींचना यही खेलना खेल मीठा मीठा बोलना, सबसे रखना [...] More
  • महंगाई पर ग़ज़ल, इक़बाल हुसैन “इक़बाल”

    घर सभी दुकान हो गये

    घर सभी दुकान हो गये लोग बेमकान हो गये जो किये थे उन पर कभी ग़ारत अहसान हो गये वो [...] More
  • तुम लाख दूर जाओ

    तुम लाख दूर जाओ मगर कुछ भी नहीं होना हम दोनो साथ रहने की ख़ातिर हुए हैं पैदा हसरत नहीं [...] More
  • ख़त जो मिला किसी का

    ख़त जो मिला किसी का मुकद्दर संवर गया दौरे खिजां में घर मेरा फूलों से भर गया जो डर गया [...] More
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