हमने वो सपना देखा जिसमें घर अपना देखा देखा ना मेरा लिखना लोगों ने छपना देखा देखे ना उसके करतब [...]
More
-
हमने वो सपना देखा
-
लोग गोटी जमा लेते हैं
लोग गोटी जमा लेते हैं नाम, शोहरत कमा लेते हैं कर्म फिर भी झलक जाते हैं लाख धूनी रमा लेते [...] More -
समझ नहीं सकता
समझ नहीं सकता कभी दूजों के जज़्बात अहंकार में डूबकर जो करता है बात चलते चलते थक गया यह बिल्कुल [...] More -
सूरज तक पाबन्द है देख
सूरज तक पाबन्द है देख ! समय के हाथ फिर तू क्यों चलता नहीं मीत समय के साथ मीत ! [...] More -
सच का आँगन जल रहा
सच का आँगन जल रहा सच का जला मकान क़दम क़दम पर हँस रहा झूठा बेईमान गन्दों से तू दूर [...] More -
हिय आँगन में ही उगा
हिय-आँगन में ही उगा मीत प्रीत की बेल हर पल इसको सींचना यही खेलना खेल मीठा मीठा बोलना, सबसे रखना [...] More -
घर सभी दुकान हो गये
घर सभी दुकान हो गये लोग बेमकान हो गये जो किये थे उन पर कभी ग़ारत अहसान हो गये वो [...] More -
तुम लाख दूर जाओ
तुम लाख दूर जाओ मगर कुछ भी नहीं होना हम दोनो साथ रहने की ख़ातिर हुए हैं पैदा हसरत नहीं [...] More -
ख़त जो मिला किसी का
ख़त जो मिला किसी का मुकद्दर संवर गया दौरे खिजां में घर मेरा फूलों से भर गया जो डर गया [...] More