• सम्बन्धो पर दोहा, जगदीश तिवारी

    अपने को आकाश रख

    अपने को आकाश रख, रख आँखें तू चार सबसे तू सम्बन्ध रख कैसे होगी हार कोयल कूके डाल पर हँसता [...] More
  • जाते-जाते जब हुई

    जाते-जाते जब हुई उससे आँखें चार पतझर भी लगने लगा मुझको सावन यार कभी फूल बन दिन हँसें कभी बने [...] More
  • एक इशारा कर गया

    एक इशारा कर गया आने का वो आज इन्तज़ार का बज रहा तब से हिय में साज देख ! गुड़िया [...] More
  • तक़दीर पर दोहा, जगदीश तिवारी

    हार कभी ना मानना

    हार कभी ना मानना होना नहीं अधीर कर्म से मुख न मोड़ना बदलेगी तकदीर तुम जो मुझको साथ दो कर [...] More
  • भूल पर दोहा, जगदीश तिवारी

    एक ज़रा सी भूल ने

    एक ज़रा सी भूल ने कैसा किया धमाल देख जला के रख दिया इज्जत का ये शाल कहने से पहले [...] More
  • बार बार क्यों लड़ रहे

    बार बार क्यों लड़ रहे लड़ो एक ही बार बात हो आर पार की जीत हो या फिर हार जहाँ [...] More
  • मन पर दोहा, जगदीश तिवारी

    मन को उससे जोड़ ले

    मन को उससे जोड़ ले मन को कर न अधीर मन जो हुआ अधीर तो बढ़ जायेगी पीर मन ही [...] More
  • मन की बात पर दोहा, जगदीश तिवारी

    मन से जो करता

    मन से जो करता सदा सीधी सच्ची बात भाई वो खाता नहीं कभी न जग में मात तेरे मेरे बिच [...] More
  • एक मिनट में कर गया

    एक मिनट में कर गया करना था जो काम और कभी सोचा नहीं क्या होगा अन्जाम उलटी सीधी बात में [...] More
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