• बार बार क्यों लड़ रहे

    बार बार क्यों लड़ रहे लड़ो एक ही बार बात हो आर पार की जीत हो या फिर हार जहाँ [...] More
  • मन पर दोहा, जगदीश तिवारी

    मन को उससे जोड़ ले

    मन को उससे जोड़ ले मन को कर न अधीर मन जो हुआ अधीर तो बढ़ जायेगी पीर मन ही [...] More
  • मन की बात पर दोहा, जगदीश तिवारी

    मन से जो करता

    मन से जो करता सदा सीधी सच्ची बात भाई वो खाता नहीं कभी न जग में मात तेरे मेरे बिच [...] More
  • बैसाखियों पर कविता, रामनारायण सोनी

    बैसाखियों पर जिन्दगी

    शूल बन कर फूल भी चुभते रहे अर्थ बिन जो शब्द थे मथते रहे रश्मियाँ बन उर्मियाँ ढलती रही वे [...] More
  • इंसान पर ग़ज़ल, इक़बाल हुसैन “इक़बाल”

    हर नज़र के ख्वाब

    हर नज़र के ख्वाब में तूफान हैं जानते है लोग पर अनजान हैं उन गुलों के वास्ते कर दो दुआ [...] More
  • एक मिनट में कर गया

    एक मिनट में कर गया करना था जो काम और कभी सोचा नहीं क्या होगा अन्जाम उलटी सीधी बात में [...] More
  • इंसान पर दोहा, जगदीश तिवारी

    छोटी छोटी बात पर

    छोटी छोटी बात पर सदा हुई तकरार फिर भी वो करते रहे इक दूजे से प्यार समय कितना बदल गया [...] More
  • कैसा आया है समय

    कैसा आया है समय खुद का करे बखान अपने हाथों कर रहा अपना ही सम्मान जब तक फूल ख़िला रहा, [...] More
  • मानवता पर दोहा, जगदीश तिवारी

    चलने से जो डर गया

    चलने से जो डर गया डूबी जिसकी नाव भाई ! भर सकता नहीं कभी न उसका घाव भटकन में भटका [...] More
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