• दर्पण पर ग़ज़ल, इक़बाल हुसैन “इक़बाल”

    चाहत है तो कुछ

    चाहत है तो कुछ दूरी जरूरी है दर्पण जैसी मज़बूरी ज़रूरी है आपको तब तक नहीं आएगी ज़ख़्मों की जबां [...] More
  • दुआओ पर ग़ज़ल, इक़बाल हुसैन “इक़बाल”

    तुम तो अपना प्याला

    तुम तो अपना प्याला बड़ा रक्खो यारो ये साकी पे छोड़ो भरता कितनी है तेरे काग़ज के फूलों का सबब [...] More
  • पैसो पर ग़ज़ल, इक़बाल हुसैन “इक़बाल”

    मतले ही रह गये

    जाने अनजाने रिश्ते भी ख़ास हो जाते हैं जब पैसे दो पैसे किसी के पास हो जाते हैं मुफलिसी में [...] More
  • आईने पर ग़ज़ल, इक़बाल हुसैन “इक़बाल”

    चन्द खुले अश आर

    आईना धुंधला ही रहने दीजिये साफ़ होगा तो सच नहीं सह पाओगे आईना भी बेश क़ीमती हो जाएगा जिस दिन [...] More
  • बेजुबान पर ग़ज़ल, इक़बाल हुसैन “इक़बाल”

    बुलन्दी पे नज़र

    बुलन्दी पे नज़र आने वाले बता कितने कांधे लहूलुहान किये हैं बनाने को अपना ये आलीशान मकाँ तबाह कितने कच्चे [...] More
  • अपनों पर ग़ज़ल, इक़बाल हुसैन “इक़बाल”

    मेहरबानी अपनों की

    मेहरबानी अपनों की, ये ही बहुत है कम से कम, ग़ैर से लुटवाया तो नहीं होके दर-बदर भी रह, इतनी [...] More
  • बेरहम हो गया

    बेरहम हो गया किस कदर ये जहां कांपती हैं जमी कांपता आसमाँ शोख़ जलवे सभी, खून से सन रहे आग [...] More
  • तक़दीर पर दोहा, जगदीश तिवारी

    हार कभी ना मानना

    हार कभी ना मानना होना नहीं अधीर कर्म से मुख न मोड़ना बदलेगी तकदीर तुम जो मुझको साथ दो कर [...] More
  • भूल पर दोहा, जगदीश तिवारी

    एक ज़रा सी भूल ने

    एक ज़रा सी भूल ने कैसा किया धमाल देख जला के रख दिया इज्जत का ये शाल कहने से पहले [...] More
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