चाहत है तो कुछ दूरी जरूरी है दर्पण जैसी मज़बूरी ज़रूरी है आपको तब तक नहीं आएगी ज़ख़्मों की जबां [...]
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चाहत है तो कुछ
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तुम तो अपना प्याला
तुम तो अपना प्याला बड़ा रक्खो यारो ये साकी पे छोड़ो भरता कितनी है तेरे काग़ज के फूलों का सबब [...] More -
मतले ही रह गये
जाने अनजाने रिश्ते भी ख़ास हो जाते हैं जब पैसे दो पैसे किसी के पास हो जाते हैं मुफलिसी में [...] More -
चन्द खुले अश आर
आईना धुंधला ही रहने दीजिये साफ़ होगा तो सच नहीं सह पाओगे आईना भी बेश क़ीमती हो जाएगा जिस दिन [...] More -
बुलन्दी पे नज़र
बुलन्दी पे नज़र आने वाले बता कितने कांधे लहूलुहान किये हैं बनाने को अपना ये आलीशान मकाँ तबाह कितने कच्चे [...] More -
मेहरबानी अपनों की
मेहरबानी अपनों की, ये ही बहुत है कम से कम, ग़ैर से लुटवाया तो नहीं होके दर-बदर भी रह, इतनी [...] More -
बेरहम हो गया
बेरहम हो गया किस कदर ये जहां कांपती हैं जमी कांपता आसमाँ शोख़ जलवे सभी, खून से सन रहे आग [...] More -
हार कभी ना मानना
हार कभी ना मानना होना नहीं अधीर कर्म से मुख न मोड़ना बदलेगी तकदीर तुम जो मुझको साथ दो कर [...] More -
एक ज़रा सी भूल ने
एक ज़रा सी भूल ने कैसा किया धमाल देख जला के रख दिया इज्जत का ये शाल कहने से पहले [...] More