• हाँ तुम्हारे दिल में भी

    हाँ तुम्हारे दिल में भी ये आग जलनी चाहिए अब हमारे देश की सूरत बदलनी चाहिए दुश्मनों की चाल को [...] More
  • मधुमास पर दोहा, जगदीश तिवारी

    पंछी कलरव कर रहे

    पंछी कलरव कर रहे भंवर करें गुंजार कूक रही कोयल सनम ! भटकाये कचनार मेरे हिय आँगन हँसे जब जब [...] More
  • विश्वास पर दोहा, जगदीश तिवारी

    बाधा से घबरा नहीं

    बाधा से घबरा नहीं करता रह प्रयास मन में रख विष्वास तू रच देगा इतिहास अपने बल पर वो बड़ा [...] More
  • माँ पर दोहा, जगदीश तिवारी

    मातृ दिवस पर माँ पर चन्द दोहे

    माँ आँगन की धूप है, माँ आँगन की छाँव माँ ही तो खेती सनम! घर आँगन की नाव कैसे कैसे [...] More
  • स्वारथ के आँगन बसा

    स्वारथ के आँगन बसा जब से ये इन्सान भूल गया व्यक्तित्व की अपनी वो पहचान बड़ा आदमी क्या बना बदली [...] More
  • सम्बन्धो पर दोहा, जगदीश तिवारी

    अपने को आकाश रख

    अपने को आकाश रख, रख आँखें तू चार सबसे तू सम्बन्ध रख कैसे होगी हार कोयल कूके डाल पर हँसता [...] More
  • जाते-जाते जब हुई

    जाते-जाते जब हुई उससे आँखें चार पतझर भी लगने लगा मुझको सावन यार कभी फूल बन दिन हँसें कभी बने [...] More
  • लौट आ पर ग़ज़ल, शाद उदयपुरी

    मैं करूँगा इंतज़ार

    मैं करूँगा इंतज़ार हो सके तो लौट आ दिल हुआ है बेक़रार हो सके तो लौट आ जो लगे इल्ज़ाम [...] More
  • एक इशारा कर गया

    एक इशारा कर गया आने का वो आज इन्तज़ार का बज रहा तब से हिय में साज देख ! गुड़िया [...] More
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