• तन्हा होकर भी मैं

    तन्हा होकर भी मैं तो न तन्हा रहा रात भर दीप जो, साथ जलता रहा होके तुझसे जुदा मैं बिखरता [...] More
  • मैं जहाँ हूँ दिखाई देता हूँ

    मैं जहाँ हूँ दिखाई देता हूँ दिल से सुनिए सुनाई देता हूँ तोड़ लाये हैं आज तारे वो दिल से [...] More
  • आह इतनी भरा नहीं करते

    आह इतनी भरा नहीं करते प्यार को मकबरा नहीं करते ख़्वाब आकर चले गये जो शब फ़िक़्र उनकी ज़रा नहीं [...] More
  • फ़र्ज़ पर ग़ज़ल, शाद उदयपुरी

    हम किसी का बुरा नहीं करते

    हम किसी का बुरा नहीं करते दुश्मन से भी दग़ा नहीं करते कैसी ख़ुदग़र्जीओं में डूबे हैं फ़र्ज़ अपना अदा [...] More
  • सुबहा चहुँ दिश हँस रही,

    सुबहा चहुँ दिश हँस रही, भाग गई सब रात नयनों से जब गया, वो इस दिल की बात उसकी आँखों [...] More
  • गुलाब के खिलने पर कविता, इरशाद अज़ीज़

    तुम एक गुलाब हो

    तुम एक गुलाब हो लेकिन खिलने से डरती हो जानता हूं कांटों के डर से खिलना मुस्कराना नहीं छोड़ा जाता [...] More
  • धरती और आकाश की बेचैनी पर कविता, इरशाद अज़ीज़

    इंतज़ार न जाने कब से

    इंतज़ार न जाने कब से बिना कुछ कहे एक-दूसरे का आकाश का तड़पना धरती के लिए धरती की बेताबी आकाश [...] More
  • उसका दिखाया सच

    उसका दिखाया सच अगर नहीं पसंद तो पर्दा डाल दो उस पे ताकि बार-बार सामना होने पर शर्मिंदा न होना [...] More
  • वह बिखर जाता है

    वह बिखर जाता है टूटने के बाद भी अपनी सच्चाई के साथ तोड़ने वाले के झूठ को साबित करता हुआ [...] More
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