जीवन मुस्कराता था इसके आस-पास परिंदों के झुंड गाते थे प्रेम के गीत कितने हरे-भरे थे वो खेत-खलिहान वो पेड़ [...]
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कुए का दु:ख
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इतना क्यूं रोती हो
तुम जब हंसती हो तो भर जाती है तुम्हारी आंखें मन में ठहरे दु:ख के कारण तो नहीं हां जब [...] More -
हां जानता हूं तुम्हारा दर्द
मेरे एक इशारे पर क्यूं कर देती हो अपने-आपको मेरे हवाले कभी तो टूटने दो मेरे सब्र का बांध क्यूं [...] More -
मैं तुम्हारा ख़याल हूं
मैं तुम्हारा ख़याल हूं तो हक़ीक़त कोई और है अगर हक़ीक़त हूं तो ख़याल कोई दूसरा जाने दो दिमाग पर [...] More -
जैसा तुम सोचती हो
जैसा तुम सोचती हो वैसी नहीं है यह दुनिया न ही तुम वैसी हो जैसा तुम्हें देखना चाहती है यह [...] More -
सांसों की सिलाई
ज़िन्दगी बुनती है बेशुमार ख़्वाब मगर चह किसकी सुनती है दौड़ती जाती है उधेड़ते हुए सांसों की सिलाई अपने ही [...] More -
कितनी उलझी हुई लगती हो
मैं तुम्हें जितना भी जान पाया हूं और जानना चाहता हूं तुम्हारा कहा हुआ आधा सच और झूठ पूरा-पूरा तुम [...] More -
तुम्हें सोचता हूं तो
तुम्हें सोचता हूं तो भूल जाता हूं ख़ुद को मेरा होना याद ही नहीं रहता मुझे कई बार हां जानता [...] More -
सूरज की दरकार
तुम्हारी छटपटाहट देखी नहीं जाती मुझसे गुजरे वक़्त ने जो तुम पर जुल्म ढाए उन सब का बदला मैजूदा वक़्त [...] More