• महंगाई पर ग़ज़ल, इक़बाल हुसैन “इक़बाल”

    घर सभी दुकान हो गये

    घर सभी दुकान हो गये लोग बेमकान हो गये जो किये थे उन पर कभी ग़ारत अहसान हो गये वो [...] More
  • तुम लाख दूर जाओ

    तुम लाख दूर जाओ मगर कुछ भी नहीं होना हम दोनो साथ रहने की ख़ातिर हुए हैं पैदा हसरत नहीं [...] More
  • ख़त जो मिला किसी का

    ख़त जो मिला किसी का मुकद्दर संवर गया दौरे खिजां में घर मेरा फूलों से भर गया जो डर गया [...] More
  • धनी पर ग़ज़ल, इक़बाल हुसैन “इक़बाल”

    बात क्या-क्या सुनी

    बात क्या-क्या सुनी आपको क्या पता जान पे आ बनी आपको क्या पता नींद को ले गयी आंख से छीन [...] More
  • भाई जूते चल रहे

    भाई जूते चल रहे, आपस में ही यार। आपस में ही कर रहे, इक दूजे पर वार।। इक दूजे पर [...] More
  • शायरी में पुख्तगी गर चाहिये

    शायरी में पुख्तगी गर चाहिये सिर्फ अष्कों का समंदर चाहिये इस जहां को सच सुनाना हो अगर हाथ में हर [...] More
  • समझने पर ग़ज़ल, इक़बाल हुसैन “इक़बाल”

    आंखों में बसना ठीक नहीं

    आंखों में बसना ठीक नहीं ख्वाबों में मिलना ठीक नहीं आओं तो तुम दिन में आओं रातों में मिलना ठीक [...] More
  • बदलते नज़रो पर ग़ज़ल, इक़बाल हुसैन “इक़बाल”

    बदला हुआ समां है

    बदला हुआ समां है बदले हुए नज़ारे बेगाने हो गये वो कल तक जो थे हमारे मायूस ज़िन्दगी के अरमां [...] More
  • अहदे वफ़ा समझकर

    अहदे वफ़ा समझकर आना हमारे पास ये फलसफा समझकर आना हमारे पास ये रौनक ए जमाना ये उम्र की खुमारी [...] More
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