• मन पर दोहा, जगदीश तिवारी

    आगे आगे चल रहा

    आगे आगे चल रहा पीछे का ना ध्यान पीछे गर कुछ हो गया घट जायेगा मान कर सकता हर काम [...] More
  • सपनो पर दोहा, जगदीश तिवारी

    सपने सब ढहने लगे

    सपने सब ढहने लगे जीना हुआ दुश्वार सुख की बगिया में लगी जब से खरपतवार उतर गये नकली सभी चेहरे [...] More
  • होली पर गीत, नसीर बनारसी

    बुरा न मानो होली है

    बुरा न मानो होली है जोगीरा सरररररररर। जोगीरा सरररररररर बुरा न मानो होली है। बामनिया हंसने लगे सराफ ढोल बजाने [...] More
  • माँ पर दोहा, जगदीश तिवारी

    भीतर की अच्छाइयाँ भरें

    भीतर की अच्छाइयाँ भरें मनुज में रंग यही रंग तो मनुज को जीने का दे ढंग सच्चाई जिसमें हँसे ना [...] More
  • सम्बन्धो पर दोहा, जगदीश तिवारी

    सम्बन्धों के द्वार पर

    सम्बन्धों के द्वार पर खेल प्रेम का खेल खुद-ब-खुद विश्वास की उग जायेगी बेल मन पंछी आकाश में भरने लगा [...] More
  • समझ नहीं सकता

    समझ नहीं सकता कभी दूजों के जज़्बात अहंकार में डूबकर जो करता है बात चलते चलते थक गया यह बिल्कुल [...] More
  • समय पर ग़ज़ल, जगदीश तिवारी

    सूरज तक पाबन्द है देख

    सूरज तक पाबन्द है देख ! समय के हाथ फिर तू क्यों चलता नहीं मीत समय के साथ मीत ! [...] More
  • सच का आँगन जल रहा

    सच का आँगन जल रहा सच का जला मकान क़दम क़दम पर हँस रहा झूठा बेईमान गन्दों से तू दूर [...] More
  • दूजे की रचना पर ग़ज़ल, जगदीश तिवारी

    हिय आँगन में ही उगा

    हिय-आँगन में ही उगा मीत प्रीत की बेल हर पल इसको सींचना यही खेलना खेल मीठा मीठा बोलना, सबसे रखना [...] More
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