• हो जायेगी ज़िन्दगी

    हो जायेगी ज़िन्दगी सब तेरी अनमोल अंधियारा हिय से भगा उजियारा पट खोल बरखा बरसी झूम कर मनवा हुआ विभोर [...] More
  • सतरंगी इंद्रधनुष पर कविता, देवेन्द्र कुमार सिंह "दददा"

    वगुलो की चल पड़ी दुकान

    वगुलो की चल पड़ी दुकान, हंस ताल छोड़कर चले गये, मरघट सी लगती सिवान, लाशों पर गिध्द सब झपट पड़े [...] More
  • साथ निभाने पर कविता, देवेन्द्र कुमार सिंह "दददा"

    साथ निभाने की कसमें

    साथ निभाने की कसमें जो खाते रहते थे अब उनकी सुधियों में खोना अच्छा लगता है | सांसो के सर [...] More
  • मोती पर कविता, देवेन्द्र कुमार सिंह "दददा"

    न छीनो प्यार के मोती

    न छीनो प्यार के मोती, सजल मनुहार के मोती, बड़े अनमोल मोती हैं मेरे श्रृंगार के मोती | कभी आहों [...] More
  • सुधियों का यह दर्द

    सुधियों का यह दर्द बड़ा ही प्यारा लगता है, चुपके से आता है सबसे न्यारा लगता है | थके वटोही [...] More
  • एक फूल की खातिर कविता, देवेन्द्र कुमार सिंह "दददा"

    सतरंगी धरती पर फैली

    सतरंगी धरती पर फैली कितनी राह अजानी, एक फूल के खातिर कितनी कितनी बनी कहानी || चित्र बनाती रही रात [...] More
  • ज़िंदगी पर कविता, देवेन्द्र कुमार सिंह "दददा"

    मैं तुम्हारी जिन्दगी में

    मैं तुम्हारी जिन्दगी में गीत बनकर क्या करूँगा | साँझ की वरसात के रिमझिम स्वरों का यह तराना, नीड़ में [...] More
  • अपनों से सम्बन्ध पर दोहा, जगदीश तिवारी

    सम्बन्धों का इस तरह

    सम्बन्धों का इस तरह तोड़ न भाई द्वार समय कठिन हो जायेगा जीवन होगा भार अपने अन्तस से कभी मिटा [...] More
  • किस्मत पर ग़ज़ल, इक़बाल हुसैन “इक़बाल”

    बनकर के परछाई मेरी

    बनकर के परछाई मेरी ना करना रुसवाई मेरी है अहसान बहुत आईने सूरत तो दिखलाई मेरी रखते-रखते ये सर ऊंचा [...] More
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