वो समझते हैं अंजान हूं मैं सब समझता हूं इंसान हूं मैं कुछ रिवाजों का ख़ौफ़ है मुझको लोग ना [...]
More
-
वो समझते हैं
-
बहुत हो चुकी
बहुत हो चुकी पहचान रहने दो कुछ बातों से अनजान रहने दो छेड़ो ना तुम जज़्बात को मेरे हुआ तो [...] More -
मुझको पीड़ा देकर तूने
मुझको पीड़ा देकर तूने मुझ पर ही एहसान किया है, मरू में भटक रहे मृग को आशा का जीवन दान [...] More -
आंगन में उग आई धुप
आंगन में उग आई धुप, दूध में नहाया सा रूप | छत पर अंगड़ाती कपोती की पाँखें, सूनी-सूनी सी है [...] More -
शक्ल से ही बस कबाड़ी लगता है
शक्ल से ही बस कबाड़ी लगता है आदमी लेकिन जुगाड़ी लगता है जिस अदा से है हराया खुद को ही [...] More -
आज ये हादसा नहीं होता
आज ये हादसा नहीं होता हाथ जो आपका नहीं होता हाथ जो आपका नहीं होता मर्ज़ ये ला दवा नहीं [...] More -
ना खिज़ा से डरो
ना खिज़ा से डरो, ना हवा से डरो तितलियों की मगर बददुआ से डरो रीत बदली सभी आज के दौर [...] More -
कथाकार बदल गये
कथाकार बदल गये अदाकार बदल गये रौनक बदल गयी सब सभागार बदल गये निज़ाम की तो हद है खतावार बदल [...] More -
जब तक उससे लाभ था
जब तक उससे लाभ था तब तक था वो मीत लाभ न उससे जब मिला फिर काहे की प्रीत जनता [...] More