जख़्म मिले जग से बहुत मानी कभी न हार और कभी तोड़ा नहीं अपनों से व्यवहार करना जो चाहा यहाँ [...]
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जख़्म मिले जग से बहुत
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मैं जीवन के नव प्रभात
मैं जीवन के नव प्रभात का गीत सुनाता हूँ पतझारों में मधुश्रतु का संगीत सुनाता हूँ | पाषाणों की छाती [...] More -
आज की रात शुभ है
आज की रात शुभ है मिलन के लिए, कौन जाने कभी हम मिले ना मिलें | यदि मिलें भी कभी [...] More -
भाव तो बराबर
भाव तो बराबर सितम ढा रहे हैं आजकल इसलिए ही ग़म खा रहे हैं परिवहन की बढ़ी दरों की वजह [...] More -
धकेला और छूटे
धकेला और छूटे हुवे को इस हवा ने बिखेरा और टूटे हुवे को इस हवा ने चुरा कर पेड़ पर [...] More -
गोरी तेरा मुखडा
गोरी तेरा मुखडा चाँद सा रे देख के धडके मोरा जिया रे। माथे पर बिंदियाँ ऐसे चमके दामिनि गिरि हो [...] More -
लेखनी स्वर्ण प्रासादों को
लेखनी स्वर्ण प्रासादों को खण्डहर बना सकती है, लेखनी ध्वस्त झोपड़ियों में तूफान उगा सकती है | थके हुये पाँवों [...] More -
साधों की देहरी
साधों की देहरी कुआँरी अन छूई है, सपनों की साँस इसे नाँप जाती है | अनचाहे मौसम का तीखापन छूट [...] More -
शत शत नमन कोटि
शत शत नमन कोटि अभिनन्दन श्रद्धा भाव सुमन, हे मानस के अमर पूत तुलसी तेरा वन्दन | नव प्रभात नव [...] More