बदला हुआ समां है बदले हुए नज़ारे बेगाने हो गये वो कल तक जो थे हमारे मायूस ज़िन्दगी के अरमां हुए हमारे तूफा में मेरी नैया और दूर है किनारे इस बेबसी में या रब किसको कहें हम अपना कोई नहीं हमारा अब तो सिवा तुम्हारे कल तक जो यार हमपे दिलोजान से फ़िदा थे उन्हीं ने आज दिल में खंजर मेरे उतारे कल तक तो ये बहारें मेरे जिक्र की थी शैदा क्या आज हो गया है बदले हैं क्यूं नजारें ये दौरे तलातुम है इक़बाल का खुदा है तूफान उठ रहा है कश्ती हैं – इक़बाल हुसैन “इक़बाल” इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
बदला हुआ समां है
बदला हुआ समां है बदले हुए नज़ारे
बेगाने हो गये वो कल तक जो थे हमारे
मायूस ज़िन्दगी के अरमां हुए हमारे
तूफा में मेरी नैया और दूर है किनारे
इस बेबसी में या रब किसको कहें हम अपना
कोई नहीं हमारा अब तो सिवा तुम्हारे
कल तक जो यार हमपे दिलोजान से फ़िदा थे
उन्हीं ने आज दिल में खंजर मेरे उतारे
कल तक तो ये बहारें मेरे जिक्र की थी शैदा
क्या आज हो गया है बदले हैं क्यूं नजारें
ये दौरे तलातुम है इक़बाल का खुदा है
तूफान उठ रहा है कश्ती हैं
– इक़बाल हुसैन “इक़बाल”
इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल
इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की रचनाएँ
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