आगे आगे चल रहा पीछे का ना ध्यान पीछे गर कुछ हो गया घट जायेगा मान कर सकता हर काम है हर कोई इंसान जब कोई भी आदमी लेता मन में ठान मन से थोड़ी बात कर मन से कर पहचान मन गर वश में कर लिया तब है तू इंसान शब्दों के दरबार में शब्द हँस रहे मीत छन्दों में ढलकर सभी आज बने नव-गीत सुबह तेरे घर हँसे तुझ पर गिरे न गाज बेटी को देता दुआ बाबुल देखो आज छोटी छोटी बात पर करता है टकरार और सभी से चाहता उसे करें वो प्यार मिटा सके तो तू मिटा सारे वो मतभेद सम्बन्धों के बीच जो मीट ! कर रहे छेद – जगदीश तिवारी जगदीश तिवारी जी की दोहा जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
आगे आगे चल रहा
आगे आगे चल रहा पीछे का ना ध्यान
पीछे गर कुछ हो गया घट जायेगा मान
कर सकता हर काम है हर कोई इंसान
जब कोई भी आदमी लेता मन में ठान
मन से थोड़ी बात कर मन से कर पहचान
मन गर वश में कर लिया तब है तू इंसान
शब्दों के दरबार में शब्द हँस रहे मीत
छन्दों में ढलकर सभी आज बने नव-गीत
सुबह तेरे घर हँसे तुझ पर गिरे न गाज
बेटी को देता दुआ बाबुल देखो आज
छोटी छोटी बात पर करता है टकरार
और सभी से चाहता उसे करें वो प्यार
मिटा सके तो तू मिटा सारे वो मतभेद
सम्बन्धों के बीच जो मीट ! कर रहे छेद
– जगदीश तिवारी
जगदीश तिवारी जी की दोहा
जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ
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