आदमी ख़ुद से मिला हो तो ग़ज़ल होती है ख़ुद से गर शिकवा गिला हो तो ग़ज़ल होती है अपने जज़्बात को लफ़्ज़ों में पिरोने वालो डूब कर शे’र कहा हो तो ग़ज़ल होती है – इरशाद अज़ीज़ इरशाद अज़ीज़ जी की ग़ज़ल इरशाद अज़ीज़ जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
आदमी ख़ुद से
आदमी ख़ुद से मिला हो तो ग़ज़ल होती है
ख़ुद से गर शिकवा गिला हो तो ग़ज़ल होती है
अपने जज़्बात को लफ़्ज़ों में पिरोने वालो
डूब कर शे’र कहा हो तो ग़ज़ल होती है
– इरशाद अज़ीज़
इरशाद अज़ीज़ जी की ग़ज़ल
इरशाद अज़ीज़ जी की रचनाएँ
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