अब अंधेरा नहीं रौशनी चाहिए खेलती कूदती ज़िन्दगी चाहिए हम रहें प्यार से प्यार सब से करें दुश्मनी अब नहीं दोस्ती चाहिए बेरुख़ी बेरुख़ी बेरूख़ी छोड़ दो दिल लगाया तो फिर दिल्लगी चाहिए शेर कहकर ग़ज़ल आज पूरी करी हम हैं शायर हमें शाइरी चाहिए चाँद की चाँदनी सा दमकना हो गर मीत उसके लिए बन्दगी चाहिए – जगदीश तिवारी जगदीश तिवारी जी की ग़ज़ल जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
अब अंधेरा नहीं
अब अंधेरा नहीं रौशनी चाहिए
खेलती कूदती ज़िन्दगी चाहिए
हम रहें प्यार से प्यार सब से करें
दुश्मनी अब नहीं दोस्ती चाहिए
बेरुख़ी बेरुख़ी बेरूख़ी छोड़ दो
दिल लगाया तो फिर दिल्लगी चाहिए
शेर कहकर ग़ज़ल आज पूरी करी
हम हैं शायर हमें शाइरी चाहिए
चाँद की चाँदनी सा दमकना हो गर
मीत उसके लिए बन्दगी चाहिए
– जगदीश तिवारी
जगदीश तिवारी जी की ग़ज़ल
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