एक ज़रा सी भूल ने कैसा किया धमाल देख जला के रख दिया इज्जत का ये शाल कहने से पहले सनम ! खुद को मन में तोल अपने मन की बात तू फिर दूजों को बोल पहले तो झट कह गये कहना था जो आप और कर रहे बाद में देखो पश्चाताप ! कर न सका जिसका कभी मैं दिल से सत्कार वो कैसे देगा बता रुपया मुझे उधार सीधी सीधी बात कर मत कर उलटी बात ये तेरे अपने सगे मत पहुंचा आघात जो तेरा अपना सगा काट न उसके हाथ गर तू है इक आदमी दे उसका तू साथ दोहे को आकाश दे, दोहा भरे उड़ान दोहा ही देगा सनम ! तुझको इक पहचान – जगदीश तिवारी जगदीश तिवारी जी की दोहा जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
एक ज़रा सी भूल ने
एक ज़रा सी भूल ने कैसा किया धमाल
देख जला के रख दिया इज्जत का ये शाल
कहने से पहले सनम ! खुद को मन में तोल
अपने मन की बात तू फिर दूजों को बोल
पहले तो झट कह गये कहना था जो आप
और कर रहे बाद में देखो पश्चाताप !
कर न सका जिसका कभी मैं दिल से सत्कार
वो कैसे देगा बता रुपया मुझे उधार
सीधी सीधी बात कर मत कर उलटी बात
ये तेरे अपने सगे मत पहुंचा आघात
जो तेरा अपना सगा काट न उसके हाथ
गर तू है इक आदमी दे उसका तू साथ
दोहे को आकाश दे, दोहा भरे उड़ान
दोहा ही देगा सनम ! तुझको इक पहचान
– जगदीश तिवारी
जगदीश तिवारी जी की दोहा
जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ
[simple-author-box]
अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें