हर नज़र के ख्वाब में तूफान हैं जानते है लोग पर अनजान हैं उन गुलों के वास्ते कर दो दुआ जो बहारे दौर में वीरान हैं जो खरीदें दर्द अपनों के लिये कैसे ये इस दौर के इंसान है यूं मसल कर फेंकना अच्छा नहीं उस कली में भी बसे अरमान हैं – इक़बाल हुसैन “इक़बाल” इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
हर नज़र के ख्वाब
हर नज़र के ख्वाब में तूफान हैं
जानते है लोग पर अनजान हैं
उन गुलों के वास्ते कर दो दुआ
जो बहारे दौर में वीरान हैं
जो खरीदें दर्द अपनों के लिये
कैसे ये इस दौर के इंसान है
यूं मसल कर फेंकना अच्छा नहीं
उस कली में भी बसे अरमान हैं
– इक़बाल हुसैन “इक़बाल”
इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल
इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की रचनाएँ
[simple-author-box]
अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें