एक मिनट में कर गया करना था जो काम और कभी सोचा नहीं क्या होगा अन्जाम उलटी सीधी बात में कुछ न रखा है यार कुछ जीवन को मोड़ दे, कर जीवन साकार सच के आँगन में हँसो रहो झूठ से दूर झूठों का विरोध करो कहलाओगे शूर मन विचलित सा हो रहा समझ न आये बात दिन भर मन लगता नहीं नींद न आये रात नोट क्या ये बन्द हुए नींद न आये रात अन्दर की ये बात है किसे कहें हालात अपना अपना ढंग है अपना अपना रंग एक बजाये ढोल तो एक बजाए चंग धीरे-धीरे कर गया अपने सारे काम फिर काहे को आलसी कहते इसको राम – जगदीश तिवारी जगदीश तिवारी जी की दोहा जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
एक मिनट में कर गया
एक मिनट में कर गया करना था जो काम
और कभी सोचा नहीं क्या होगा अन्जाम
उलटी सीधी बात में कुछ न रखा है यार
कुछ जीवन को मोड़ दे, कर जीवन साकार
सच के आँगन में हँसो रहो झूठ से दूर
झूठों का विरोध करो कहलाओगे शूर
मन विचलित सा हो रहा समझ न आये बात
दिन भर मन लगता नहीं नींद न आये रात
नोट क्या ये बन्द हुए नींद न आये रात
अन्दर की ये बात है किसे कहें हालात
अपना अपना ढंग है अपना अपना रंग
एक बजाये ढोल तो एक बजाए चंग
धीरे-धीरे कर गया अपने सारे काम
फिर काहे को आलसी कहते इसको राम
– जगदीश तिवारी
जगदीश तिवारी जी की दोहा
जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ
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