छोटी छोटी बात पर सदा हुई तकरार फिर भी वो करते रहे इक दूजे से प्यार समय कितना बदल गया बदल गये हालात बिन मतलब करते नहीं मनुज किसी से बात मीत ! निभायें हम यहाँ इक ऐसा किरदार जब जायें रब के यहाँ अपना हो सत्कार दुख में भी हँसता रहा मानी कभी न हार इसीलिए तो जल रहा दीपक उसके द्वार घृणा द्वेष तज दे सनम ! खोल नेह का द्वार जाना सबको एक दिन रब के उस संसार सावन में बादल हँसे सभी भर गये ताल कोयल कूकी खेत में, भाई ! टला अकाल उलटी सीधी चल रहे चाल यहाँ इन्सान झूठ से गठ-जोड़ करें सच को मारे बाण – जगदीश तिवारी जगदीश तिवारी जी की दोहा जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
छोटी छोटी बात पर
छोटी छोटी बात पर सदा हुई तकरार
फिर भी वो करते रहे इक दूजे से प्यार
समय कितना बदल गया बदल गये हालात
बिन मतलब करते नहीं मनुज किसी से बात
मीत ! निभायें हम यहाँ इक ऐसा किरदार
जब जायें रब के यहाँ अपना हो सत्कार
दुख में भी हँसता रहा मानी कभी न हार
इसीलिए तो जल रहा दीपक उसके द्वार
घृणा द्वेष तज दे सनम ! खोल नेह का द्वार
जाना सबको एक दिन रब के उस संसार
सावन में बादल हँसे सभी भर गये ताल
कोयल कूकी खेत में, भाई ! टला अकाल
उलटी सीधी चल रहे चाल यहाँ इन्सान
झूठ से गठ-जोड़ करें सच को मारे बाण
– जगदीश तिवारी
जगदीश तिवारी जी की दोहा
जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ
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