हर जज़्बे से पहले, जज़्बाए इन्सानी याद रखो ख़ाक वतन की चूमो, ये ख़ाके लासानी याद रखो अमृत देती नदिया, सोने जैसी धरती, हाथ लगी जन्म नहीं मामूली, ये, ये है वरदानी, याद रखो मत नफरत में उलझों, वक्त है अभी सुलझो, रे सुलझो सब अपने अपने उन, अपनों की कुर्बानी, याद रखो हाथ मिला के चल दो, तेरा मेरा भेद भुलाके, चल दो वरना पीढ़ी अपनी, ही पीछे रह जानी, याद रखो ना रशिया ना तुर्की, ना कालीं गोरी, चमड़ी वाले काम नहीं आएगे ये जर्मन, जापानी, याद रखो ईद, दीवाली वंदन, गुलदस्ते के फूलों, सा बंधन तजो ज़हर के प्याले, बचपन की गुड़धानी, याद रखो – इक़बाल हुसैन “इक़बाल” इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
हर जज़्बे से पहले
हर जज़्बे से पहले, जज़्बाए इन्सानी याद रखो
ख़ाक वतन की चूमो, ये ख़ाके लासानी याद रखो
अमृत देती नदिया, सोने जैसी धरती, हाथ लगी
जन्म नहीं मामूली, ये, ये है वरदानी, याद रखो
मत नफरत में उलझों, वक्त है अभी सुलझो, रे सुलझो
सब अपने अपने उन, अपनों की कुर्बानी, याद रखो
हाथ मिला के चल दो, तेरा मेरा भेद भुलाके, चल दो
वरना पीढ़ी अपनी, ही पीछे रह जानी, याद रखो
ना रशिया ना तुर्की, ना कालीं गोरी, चमड़ी वाले
काम नहीं आएगे ये जर्मन, जापानी, याद रखो
ईद, दीवाली वंदन, गुलदस्ते के फूलों, सा बंधन
तजो ज़हर के प्याले, बचपन की गुड़धानी, याद रखो
– इक़बाल हुसैन “इक़बाल”
इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल
इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की रचनाएँ
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