हो जायेगी ज़िन्दगी सब तेरी अनमोल अंधियारा हिय से भगा उजियारा पट खोल बरखा बरसी झूम कर मनवा हुआ विभोर अब घर आजा साजना नाच रहा हिय-मोर आँख मीच उसका सनम मत कर यूँ गुणगान वो ओछा है या भला पहले उसको जान मीत ! कभी तो गाँव आ जान गाँव का हाल बन्दूके चलती यहाँ अब ना उड़े गुलाल अनुभव के आधार पर कहता हर इन्सान मन बूढ़ा होता नहीं रहता सदा जवान एक उमर के बाद में आता सदा ढलान फिर भी भाई ! मन यहाँ रहता सदा जवान मन ही मन घुटता रहा कुछ न निकला सार यादों के आकाश में जब भी झाँका यार – जगदीश तिवारी जगदीश तिवारी जी की दोहा जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
हो जायेगी ज़िन्दगी
हो जायेगी ज़िन्दगी सब तेरी अनमोल
अंधियारा हिय से भगा उजियारा पट खोल
बरखा बरसी झूम कर मनवा हुआ विभोर
अब घर आजा साजना नाच रहा हिय-मोर
आँख मीच उसका सनम मत कर यूँ गुणगान
वो ओछा है या भला पहले उसको जान
मीत ! कभी तो गाँव आ जान गाँव का हाल
बन्दूके चलती यहाँ अब ना उड़े गुलाल
अनुभव के आधार पर कहता हर इन्सान
मन बूढ़ा होता नहीं रहता सदा जवान
एक उमर के बाद में आता सदा ढलान
फिर भी भाई ! मन यहाँ रहता सदा जवान
मन ही मन घुटता रहा कुछ न निकला सार
यादों के आकाश में जब भी झाँका यार
– जगदीश तिवारी
जगदीश तिवारी जी की दोहा
जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ
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