मीत सबको गले लगा सबसे कर तू प्यार आज सभी तू तोड़ दे नफ़रत की दीवार घर बैठे ही जान ले मोबाइल से हाल भाई ! जाने का वहाँ काहे करे बवाल इक दोहा ऐसा कहो कुछ हटकर के यार बीच फंसी मझधार जो नाव लगा दे पार कयों करते हो मीत तुम ऐसों से संवाद जो कर सकते ही नहीं सपनों को आबाद तोड़ सका न जो कभी नफ़रत की दीवार बोलो हम कैसे करें उस व्यक्ति को प्यार गोरी का यौवन हँसा हँसने लगा पलाश इस दृश्य को देखकर झूम उठा आकाश जो न जबाँ से कह सके नयन कह गये बात सारी रात न सो सके किसे कहें हालात – जगदीश तिवारी जगदीश तिवारी जी की दोहा जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
मीत सबको गले लगा
मीत सबको गले लगा सबसे कर तू प्यार
आज सभी तू तोड़ दे नफ़रत की दीवार
घर बैठे ही जान ले मोबाइल से हाल
भाई ! जाने का वहाँ काहे करे बवाल
इक दोहा ऐसा कहो कुछ हटकर के यार
बीच फंसी मझधार जो नाव लगा दे पार
कयों करते हो मीत तुम ऐसों से संवाद
जो कर सकते ही नहीं सपनों को आबाद
तोड़ सका न जो कभी नफ़रत की दीवार
बोलो हम कैसे करें उस व्यक्ति को प्यार
गोरी का यौवन हँसा हँसने लगा पलाश
इस दृश्य को देखकर झूम उठा आकाश
जो न जबाँ से कह सके नयन कह गये बात
सारी रात न सो सके किसे कहें हालात
– जगदीश तिवारी
जगदीश तिवारी जी की दोहा
जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ
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