बात क्या-क्या सुनी आपको क्या पता जान पे आ बनी आपको क्या पता नींद को ले गयी आंख से छीन कर रात की दुश्मनी आपको क्या पता हो गये हैं ख़फा ये जमीं आसमां दोस्तों से ठनी आपको क्या पता आप काली घटा ना बने हम मगर बन गये मोरनी आपको क्या पता देखते दखते लाज की ओढ़नी कीच में जा सनी आपको क्या पता ग़ैर लगने लगे लोग सब गांद के आपसे जो बनी आपको क्या पता फूंक डाले ना ये आशियाना कहीं मनचली रोशनी आपको क्या पता हाथ जोड़े हुए आप क्यों हैं खड़े आप भी हैं धनी आपको क्या पता – इक़बाल हुसैन “इक़बाल” इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
बात क्या-क्या सुनी
बात क्या-क्या सुनी आपको क्या पता
जान पे आ बनी आपको क्या पता
नींद को ले गयी आंख से छीन कर
रात की दुश्मनी आपको क्या पता
हो गये हैं ख़फा ये जमीं आसमां
दोस्तों से ठनी आपको क्या पता
आप काली घटा ना बने हम मगर
बन गये मोरनी आपको क्या पता
देखते दखते लाज की ओढ़नी
कीच में जा सनी आपको क्या पता
ग़ैर लगने लगे लोग सब गांद के
आपसे जो बनी आपको क्या पता
फूंक डाले ना ये आशियाना कहीं
मनचली रोशनी आपको क्या पता
हाथ जोड़े हुए आप क्यों हैं खड़े
आप भी हैं धनी आपको क्या पता
– इक़बाल हुसैन “इक़बाल”
इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल
इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की रचनाएँ
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