छोड़ चला जब डाली फूल भूल गया सब लाली फूल जब खुसबू काफूर हुई सिर्फ बचा है खली फूल अब गुलशन में कांटों की करते हैं रखवाली फूल चेहरों के गुलदस्तो में हमने देखे जाली फूल मंडी में बाजारों में करते है हम्माली फूल देरौहरम के झगड़ों पर रोऐ उपवन माली फूल – इक़बाल हुसैन “इक़बाल” इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
छोड़ चला जब डाली फूल
छोड़ चला जब डाली फूल
भूल गया सब लाली फूल
जब खुसबू काफूर हुई
सिर्फ बचा है खली फूल
अब गुलशन में कांटों की
करते हैं रखवाली फूल
चेहरों के गुलदस्तो में
हमने देखे जाली फूल
मंडी में बाजारों में
करते है हम्माली फूल
देरौहरम के झगड़ों पर
रोऐ उपवन माली फूल
– इक़बाल हुसैन “इक़बाल”
इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल
इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की रचनाएँ
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