मीत यूँ न ये समय बरबाद कर आज फिर से देश की तू बात कर। देख आतंक हर तरफ मंडरा रहा आदमी इस देश का घबरा रहा सपन देखे जो भगत आजाद ने कौन उनपर आज कहर ढा रहा सो नहीं तू आज तहकीकात कर आज फिर से देश की तू बात कर। मीत क्या तुझको नहीं है ये ख़बर हम वतन पे दुश्मनों की है नज़र है सही ये बात तू विश्वास कर चाहते हैं वो यहाँ पर हो ग़दर चल सिपाही सीमा पर तैनात कर आज फिर से देश की तू बात कर। आपसी मतभेद सारे भूल जा एकता की देश में ज्यौति जला क्या हक़ीक़त है सभी को तू बता देश के हर नागरिक को तू जगा देश के सब दुश्मनों को मात कर आज फिर से देश की तू बात कर। – जगदीश तिवारी जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
मीत यूँ न ये समय बरबाद कर
मीत यूँ न ये समय बरबाद कर
आज फिर से देश की तू बात कर।
देख आतंक हर तरफ मंडरा रहा
आदमी इस देश का घबरा रहा
सपन देखे जो भगत आजाद ने
कौन उनपर आज कहर ढा रहा
सो नहीं तू आज तहकीकात कर
आज फिर से देश की तू बात कर।
मीत क्या तुझको नहीं है ये ख़बर
हम वतन पे दुश्मनों की है नज़र
है सही ये बात तू विश्वास कर
चाहते हैं वो यहाँ पर हो ग़दर
चल सिपाही सीमा पर तैनात कर
आज फिर से देश की तू बात कर।
आपसी मतभेद सारे भूल जा
एकता की देश में ज्यौति जला
क्या हक़ीक़त है सभी को तू बता
देश के हर नागरिक को तू जगा
देश के सब दुश्मनों को मात कर
आज फिर से देश की तू बात कर।
– जगदीश तिवारी
जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ
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