उन राहों पे सजदे सनम होंगे जिन पे तेरे नक्शे कदम होंगे पूछे जो ना मज़हब पता खित्ता जगमग वो ही दैरो हरम होंगे जो दिल में हो मुंह पर वही रखना दूर तब ही ये रंजो अलम होंगे राहे वफा आसान नहीं होगी चलना है तो लाखों सितम होंगे आईने से गर रहोगे बनकर पल पल पैदा कितने भरम होंगे ग़ैर भी “इक़बाल” को कहेंगे अपना इक दिन ऐसे देखो करम होंगे – इक़बाल हुसैन “इक़बाल” इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
उन राहों पे सजदे
उन राहों पे सजदे सनम होंगे
जिन पे तेरे नक्शे कदम होंगे
पूछे जो ना मज़हब पता खित्ता
जगमग वो ही दैरो हरम होंगे
जो दिल में हो मुंह पर वही रखना
दूर तब ही ये रंजो अलम होंगे
राहे वफा आसान नहीं होगी
चलना है तो लाखों सितम होंगे
आईने से गर रहोगे बनकर
पल पल पैदा कितने भरम होंगे
ग़ैर भी “इक़बाल” को कहेंगे अपना
इक दिन ऐसे देखो करम होंगे
– इक़बाल हुसैन “इक़बाल”
इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल
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