महरबानी हुई बड़ी मुझ पर आपकी जो नज़र पड़ी मुझ पर नज़र भर कर के जो देखा तुमने इस जहां की नज़र गड़ी मुझ पर खत गुलाबो भरे मिले जब से उंगलियाँ हो गयीं खड़ी मुझ पर जब मुलाक़ात का हुआ वादा तो सदी सी चढ़ी घड़ी मुझ पर इक फ़क़त आपकी नवाज़िश से लग गई दाद की झड़ी मुझ पर – इक़बाल हुसैन “इक़बाल” इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
महरबानी हुई बड़ी मुझ पर
महरबानी हुई बड़ी मुझ पर
आपकी जो नज़र पड़ी मुझ पर
नज़र भर कर के जो देखा तुमने
इस जहां की नज़र गड़ी मुझ पर
खत गुलाबो भरे मिले जब से
उंगलियाँ हो गयीं खड़ी मुझ पर
जब मुलाक़ात का हुआ वादा
तो सदी सी चढ़ी घड़ी मुझ पर
इक फ़क़त आपकी नवाज़िश से
लग गई दाद की झड़ी मुझ पर
– इक़बाल हुसैन “इक़बाल”
इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल
इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की रचनाएँ
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