तेरी मेरी प्रीत की चर्चा हर घर दुवार अब तो आजा साँवले राधा रही पुकार अन्तस् की किस को कहूँ समझ न आये बात कैसे सुलझेंगें सभी उलझे ये हालात तू सब कुछ है नाव फंसी मंझधार कर दे अब तो साँवले मेरा बेड़ा पार आशाओं के दुवार पर मटक रहा आकाश समय बचा थोड़ा सनम, कर न ऐसे निराश हरी भरी हो वादियाँ या हो रेगिस्तान नदिया बन बहना तुझे ऐसा रख अरमान छोड़ नहीं इंसानियत बात समझ नादान थोड़ा भी गर चाहता बचा रहे सम्मान कभी नहीं मिटता यहां लिखा भाग का लेख सपनों के संसार में खोकर तो कुछ देख – जगदीश तिवारी जगदीश तिवारी जी की ग़ज़ल जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
तेरी मेरी प्रीत की चर्चा हर घर दुवार
तेरी मेरी प्रीत की चर्चा हर घर दुवार
अब तो आजा साँवले राधा रही पुकार
अन्तस् की किस को कहूँ समझ न आये बात
कैसे सुलझेंगें सभी उलझे ये हालात
तू सब कुछ है नाव फंसी मंझधार
कर दे अब तो साँवले मेरा बेड़ा पार
आशाओं के दुवार पर मटक रहा आकाश
समय बचा थोड़ा सनम, कर न ऐसे निराश
हरी भरी हो वादियाँ या हो रेगिस्तान
नदिया बन बहना तुझे ऐसा रख अरमान
छोड़ नहीं इंसानियत बात समझ नादान
थोड़ा भी गर चाहता बचा रहे सम्मान
कभी नहीं मिटता यहां लिखा भाग का लेख
सपनों के संसार में खोकर तो कुछ देख
– जगदीश तिवारी
जगदीश तिवारी जी की ग़ज़ल
जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ
[simple-author-box]
अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें