आ-मदे फिक्र की रवाँ बेची शान झूठी रखी अनां बेची वर्क इतिहास के गवाही दें कौनसी चीज़ कब कहाँ बेची जोश रखकर यहाँ खरीदी जो होश खोकर उसे वहाँ बेची क्या मुहाफिज़ कहें उन्हे अपना पेट के वास्ते जबाँ बेची दौर गर्दिश में ये खबर किसको रात कितनी जवाँ-जवाँ बेची कसमें वादे हया वफा उलफत दौरे हाज़िर में सब यहाँ बेची पालने के लिये तुम्हे मैंने बात अपनी कहाँ कहाँ बेची – इक़बाल हुसैन “इक़बाल” इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
आ-मदे फिक्र की रवाँ बेची
आ-मदे फिक्र की रवाँ बेची
शान झूठी रखी अनां बेची
वर्क इतिहास के गवाही दें
कौनसी चीज़ कब कहाँ बेची
जोश रखकर यहाँ खरीदी जो
होश खोकर उसे वहाँ बेची
क्या मुहाफिज़ कहें उन्हे अपना
पेट के वास्ते जबाँ बेची
दौर गर्दिश में ये खबर किसको
रात कितनी जवाँ-जवाँ बेची
कसमें वादे हया वफा उलफत
दौरे हाज़िर में सब यहाँ बेची
पालने के लिये तुम्हे मैंने
बात अपनी कहाँ कहाँ बेची
– इक़बाल हुसैन “इक़बाल”
इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल
इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की रचनाएँ
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