उम्मीदों के चिराग़ को जलाएँ तो कैसे राहों के अंधकार को मिटाएँ तो कैसे डूबती कश्ती को किनारे लाएँ तो कैसे आँखों के समंदर को थामें तो कैसे तुम बिन सवालों के जवाब पाएँ तो कैसे – एकता खान एकता खान जी की कविता एकता खान जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
उम्मीदों के चिराग़ को
उम्मीदों के चिराग़ को
जलाएँ तो कैसे
राहों के अंधकार को
मिटाएँ तो कैसे
डूबती कश्ती को
किनारे लाएँ तो कैसे
आँखों के समंदर को
थामें तो कैसे
तुम बिन सवालों के
जवाब पाएँ तो कैसे
– एकता खान
एकता खान जी की कविता
एकता खान जी की रचनाएँ
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